प्यार का बोरोलीन
किरायेदार से मेरे जीवन की कहानी के किरदार तक भाई के दिल्ली पढने जाने के बाद घर में मैं माँ-पापा के साथ अकेली रह गई। नया नया डेरा बनवाये थे पापा बाईपास के पास। ऊपर दो रूम था जिसमें हम लोग रहते थे। नीचे चार कमरा था जिसमें किरायेदार आते जाते रहते थे। उस ज़माने में चारों रूम में तो कभी किरायदार नहीं आये…